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महाराष्ट्र में सीएम पद को लेकर आज बड़ा फैसला सामने आ सकता है। आज महायुति की बैठक के बाद सीएम पद पर किसी नेता की ताजपोशी हो सकती है।

महाराष्ट्र में अब तक सीएम पद को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। ऐसे में आज महायुति की बैठक होने वाली है, जिसके बाद ये साफ हो सकता है कि महाराष्ट्र का सीएम कौन बनेगा। हालांकि अभी तक देवेंद्र फडणवीस का नाम ही सीएम पद को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा में है लेकिन बीजेपी आखिरी मौके पर अपने फैसलों में बदलाव के लिए भी जानी जाती है। ऐसे में महायुति की बैठक के बाद ही पुख्ता तौर पर कोई खबर निकलकर सामने आ सकती है।

सीएम पद पर सबसे प्रबल दावेदार देवेंद्र फडणवीस, शिंदे बाहर!

सीएम पद पर सबसे प्रबल दावेदार देवेंद्र फडणवीस ही लग रहे हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि एकनाथ शिंदे ने हालही में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ये संकेत दे दिए थे कि वह खुद सीएम पद की रेस में नहीं हैं और अगला सीएम बीजेपी से ही होगा।

शिंदे ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि वह संतुष्ट हैं और कभी बीच में रोड़ा नहीं बनेंगे। उन्होंने कहा था कि बीजेपी जो फैसला लेगी, मेरी शिवसेना उसको समर्थन करेगी। शिंदे ने कहा कि मेरे लिये लाड़ला भाई यही पद, सबसे बड़ा पद है।

शिंदे ने भी यह कहा था कि महायुति की तीनों पार्टियों की दिल्ली में बैठक होगी, उसमें सरकार गठन और शिवसेना की हिस्सेदारी पर चर्चा होगी। उसके बाद कौन सीएम बनेगा, ये तय हो जाएगा।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महायुति को मिली प्रचंड जीत

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महायुति को प्रचंड जनादेश मिला है। महायुति गठबंधन ने 288 में 230 सीटें जीती हैं। इसमें अकेले बीजेपी ने 132 सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं शिवसेना ने 57 और एनसीपी ने 41 सीटें जीती हैं। ऐसे में बीजेपी सबसे ज्यादा सीट पाकर बड़े भाई की भूमिका में आ गई है और इसी आधार पर सीएम पद को लेकर ये कयासबाजी लगाई जा रही है कि सीएम बीजेपी से होगा।

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अजित पवार ने अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार के साथ वोट डाला। वोट देने के बाद उन्होंने कहा कि मैंने बारामती में जितना हो सकता था, लोगों से मिलकर अपना पक्ष रखा।

महाराष्ट्र में आज विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं। इस दौरान महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और बारामती विधानसभा क्षेत्र से एनसीपी उम्मीदवार अजित पवार ने आज अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार के साथ काटेवाडी के जिला परिषद की प्राथमिक स्कूल पोलिंग बूथ पर वोट डाला। वोट देने के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत में अपनी उम्मीदवारी और आगामी चुनावों को लेकर बयान दिया।

अजित पवार ने कहा, “लोकसभा चुनाव में भी हमारे परिवार के सदस्य एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे और सभी ने यह देखा। मैंने बारामती में जितना हो सकता था, लोगों से मिलकर अपना पक्ष रखा। मुझे उम्मीद है कि इस बार बारामती के लोग मुझे विजयी बनाएंगे।” इसके साथ ही उन्होंने विनोद तावड़े के खिलाफ पैसे बांटने के आरोपों पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा, “बारामती के लोग इस बारे में सोचेंगे और चुनाव परिणाम इस पर आधारित होंगे।”

बारामती के लोग शरद पवार को नहीं भूलेंगे: युगेंद्र पवार

पवार परिवार का गढ़ माने जाने वाले बारामती विधानसभा सीट पर इस बार चाचा और भतीजा के बीच मुकाबला है। NCP से अजित पवार उम्मीदवार हैं तो वहीं शरद पवार की एनसीपी-एसपी ने इस सीट पर युगेंद्र पवार को टिकट दिया है। युगेंद्र पवार ने अपने बयान में कहा, “मुझे 100% विश्वास है कि बारामती के लोग शरद पवार को नहीं भूलेंगे और हमें आशीर्वाद देंगे।”

बारामती में इस बार सियासी समीकरण है अलग

बता दें कि शरद पवार 1999 में कांग्रेस से अलग हुए और उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की स्थापना की थी। 1999 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अजित पवार को बारामती विधानसभा से टिकट दिया। अजित पवार चुनाव जीतने में कामयाब रहे। इसके बाद 2004, 2009, 2014, और 2019 में भी अजित पवार एनसीपी के उम्मीदवार के रूप में लगातार जीतते आए हैं। हालांकि, इस बार सियासी समीकरण कुछ अलग है। अब एनसीपी में फूट पड़ चुका है। एक शरद पवार का गुट है तो दूसरा अजित पवार का गुट। शरद पवार की एनसीपी-एसपी महा विकास अघाड़ी (MVA) के साथ है, तो अजित पवार की एनसीपी, महायुति के साथ प्रदेश की सत्ता पर काबिज है।

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महाराष्ट्र में तेज जुबानी जंग के बीच चुनाव प्रचार थमा। राहुल ने वादों की झड़ी लगाई तो बीजेपी की तरफ से भी जुबानी तीर चले। वहीं, शरद पवार ने भतीजे अजित पवार पर वार किया तो असली-नकली शिवसेना की जंग भी सामने आई।

महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के आखिरी दिन सोमवार को पार्टियों के बीच जमकर वार-पलटवार हुआ। कांग्रेस नेता राहुल गांधी प्रेस कांफ्रेंस में एक तिजोरी लेकर पहुंचे और उसे खोलकर कुछ पोस्ट निकाले और बीजेपी पर जमकर हमला बोला। राहुल ने बीजेपी के ‘एक हैं तो सेफ हैं’ के नारे पर तंज कसा और पोस्टर में पीएम मोदी एवं उद्योगपति गौतम अडानी को दिखाकर नारे का मतलब समझाया। राहुल ने आरोप लगाया कि मुंबई के धारावी को बीजेपी सरकार ने अडानी को दे दिया।

राहुल के हमले के जवाब में बीजेपी ने भी तुरंत प्रेस कांफ्रेंस की और बैकग्राउंड में बड़ा सा पोस्टर लगवाया, जिसमें शरद पवार, अशोक गहलोत, रॉबर्ट वाड्रा, रेवंत रेड्डी, भूपेंद्र हुड्डा के साथ गौतम अडानी की तस्वीरें थीं। बीजेपी नेता विनोद तावड़े ने कहा कि अडानी का सबसे ज्यादा विकास कांग्रेस के राज में हुआ। तावड़े ने कहा कि जब कांग्रेस सरकारें अडानी के साथ डील करती हैं तो वो सही है, लेकिन बीजेपी की सरकार में विकास के कामों के टेंडर ट्रांसपेरेंट तरीके से अडानी को मिलते हैं, तो कांग्रेस को खटकते हैं।

राहुल के वार पर बीजेपी का पलटवार

विनोद तावड़े ने मुंबई में हमला बोला तो बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा दिल्ली में पोस्टरों के साथ प्रेस कांफ्रेस की। एक पोस्टर में सोनिया राहुल को नेशनल हेराल्ड मामले का आरोपी दिखाया गया और दूसरे में लिखा था, ‘छोटा पोपट ने कर दिया कांग्रेस को चौपट’। संबित पात्रा ने कहा कि राहुल ने जो आरोप लगाए हैं इसके लिए उन्हें वैसे ही माफी मांगनी पड़ेगी जैसे 2019 में ‘चौकीदार चोर है’ वाले नारे के लिए मांगनी पड़ी थी।

चाचा-भतीजे में जुबानी जंग

मुंबई में कांग्रेस और बीजेपी के बीच गर्मागर्मी दिखी तो बारामती में भी शरद पवार और अजित पवार के बीच जुबानी जंग चुनावी आतिशबाजी में बदल गई। शरद पवार ने अजित पवार का नाम लिए बगैर कहा कि उनसे जिसने भी पंगा लिया उसका राजनीतिक करियर खत्म हो गया। अजित पवार ने भी अपने चाचा को संतुलित भाषा में जवाब दिया। अजित पवार ने कहा कि उन्हें चाचा राजनीति में जरूर लेकर आए, लेकिन उन्होंने अपनी काबिलियत और मेहनत से जिम्मेदारी को निभाया, इसलिए बारामती के लोग उन्हें शरद पवार की तरह प्यार देते हैं।

कौन है असली शिवसेना?

प्रचार के आखिरी दिन शिवसेना-यूबीटी ने महायुति पर जोरदार हमला करते हुए बीजेपी के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे पर कटाक्ष किया। उद्धव ठाकरे ने सीएम एकनाथ शिंदे को गद्दार कह दिया, तो सीएम शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर ही बाला साहब की विचारधारा छोड़ने का आरोप लगा दिया और कहा कि इसलिए उन्हें कार्यकर्ताओं ने छोड़ दिया। शिंदे ने कहा कि बाला साहब के विचार से मैंने नहीं उद्धव ने गद्दारी की है। पार्टियों के वार पलटवार के बाद अब 20 नवंबर का इंतजार है जब महाराष्ट्र में लोग वोट डालेंगे और 23 नवंबर को पता चलेगा कि जनता किस पार्टी और गठबंधन की बातों से प्रभावित हुई।

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